Sunday, December 7, 2025
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    गुजरात ब्रिज हादसे के बाद मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी पर स्थित मोरटक्का ब्रिज से होगा मौतों का ताडंव

    “गुजरात ब्रिज हादसे के बाद मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी पर स्थित मोरटक्का ब्रिज से होगा मौतों का ताडंव
    “प्रदेश सरकार की लापरवाही से आम जनता मौत के मुँह में समायेंगीं
    “मोरटक्का पूल के विडियो जारी करके प्रदेश सरकार पर लापरवाही के गंभीर आरोप”
    इंदौर,गुजरात में बड़ोदरा में महिसागर नदी पर बना ब्रिज टूटने से अनेक लोग मौत का शिकार हो गये।
    गुजरात की तर्ज़ पर मध्यदेश में नर्मदा नदी पर स्थित मोरटक्का ब्रिज पर किसी पल भी मौत का ताडंव हो सकता हैं।
    म.प्र.कांग्रेस कमेटी के पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने बताया की इंदौर-खंडवा रोड पर इंदौर-इच्छापुर हाइवे पर नर्मदा नदी के ऊपर बनाया गया पुल करीब 75 वर्ष पुराना हो गया है।जिसके उपयोग की सीमा भी लगभग समाप्त हो चुकी है।
    लेकिन करीब 1 किलोमीटर लंबे पुल के समानांतर नया ब्रिज अब तक नहीं बन पाने के कारण इंदौर से खंडवा, खरगोन, बुरहानपुर, बड़वानी समेत करीब 5 जिले के लाखों लोग रोज इसी पुल से गुजरने को मजबूर हैं।
    महाराष्ट्र को खंडवा के रास्ते मध्य प्रदेश से जोड़ने वाले इसी पुल के ऊपर से रोज हजारों टन माल से लदे भारी-भरकम ट्रक और टैंकर गुजरते हैं।
    सितंबर 2020 की बाढ़ में पुल क्षतिग्रस्त हो गया था।सर्वे के लिए टीम गठित करके पुल की मजबूती जांचने के लिए इंदौर संभाग आयुक्त ने श्री गोविंद राम सेकसरिया इंजीनियरिंग कॉलेज के सिविल इंजीनियरिंग विभाग से जांच करने का फैसला किया था।एसजीएसआईटीएस के डायरेक्टर डॉ. राकेश सक्सेना के मुताबिक प्रशासन द्वारा पत्र भेजा गया था की ब्रिज की प्रेजेंट स्टेटस रिपोर्ट तैयार की जाए।इस मामले के लिए टीम गठित की गई थी।
    लेकिन सर्वे जॉंच रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई हैं।
    जबकि ऐसी सूचना सूत्रों से मिली हैं की सर्वे जॉंच रिपोर्ट में पुल उपयोग योग्य नहीं पाया गया हैं।
    इस जॉंच रिपोर्ट को दबा कर पूल का उपयोग करना गुजरात ब्रिज कांड को दोहराने की कोशिश करने जैसा कदम हैं।
    जबकि रिपोर्ट में स्पष्ट हैं की 20 टन से ज़्यादा वजन के ट्रक इस पुल से गुजर नहीं सकते हैं,लेकिन रोज़ाना इससे बहुत अधिक वजह लेकर चलने वाले कंटेनर ट्रक गुज़र रहें हैं।कभी भी ब्रिज ढह सकता है ।
    ग्राम मोरटक्का से गुजरी नर्मदा नदी पर यह पुल बना है।यह अपनी उम्र पार कर चुका है।टू लेन पुल 1947 में लखनऊ के दरियावसिंह एंड कंपनी ने मात्र 25 लाख की लागत से बनाया था।
    नेशनल हाइवे के डायरेक्टर सुमेश बांझल के अपरिपक्वता एंव भ्रष्टाचार की वजह से नया ब्रिज आज तक नहीं बन पाया हैं।
    उल्लेखनीय हैं की पूर्व में मोरटक्का पुल पर एनएचएआई के अधिकारियों ने मौक़ा मुआयना किया था,इस दौरान अधिकारियों की टीम ने पुल पर पैदल चलकर हर चीज को करीब से देखा था।
    एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर के साथ पांच सदस्यीय टीम भी थी।
    इस दौरान उन्होंने ढ़ाई घंटे तक मोरटक्का पुल पैदल भ्रमण किया है।साथ ही ड्रोन के माध्यम से भी उन्होंने पुल का अवलोकन किया था।
    उस समय प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कहा कि दरारें तो है, जिसकी जांच कराएंगे।
    लेकिन जॉंच आज तक सामने नहीं आयी हैं।
    पूर्व महासचिव राकेश सिंह यादव ने बताया की नये बन रहे ब्रिज का कार्य जून 2024 में पूर्ण होना था।
    लेकिन भ्रष्टाचार और कमीशनबाजी की वजह से आज तक ब्रिज अधूरा हैं।
    ब्रिज का निर्माण भारतमाला परियोजना फेज -1 प्रोजेक्ट के अंतर्गत किया जा रहा हैं।ब्रिज बनाने वाली गुजरात की कंपनी मंगलम कंस्ट्रक्शन ने समय सीमा में कार्य नहीं किया हैं।
    एनएचएआई का दावा फेल हो गया हैं।

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