उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा हरियाणा चुनाव में चर्चा का विषय रहा है. अब ये राजनीतिक प्रयोग महाराष्ट्र में भी शुरू हो गया है. कुछ दिन पहले मुंबई और ठाणे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के संदेश वाले होर्डिंग्स देखे गए थे. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होना है. साथ ही आने वाले दिनों में योगी आदित्यनाथ की करीब 15 सभाएं महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में होंगी. ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या योगी और उनका नारा हरियाणा के बाद महाराष्ट्र में भी सफल हो पाएगा? ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का वास्तव में क्या मतलब है? महाराष्ट्र में 288 विधानसभा सीटों के लिए 20 नवंबर को वोट डाले जाएंगे. साल 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी महाराष्ट्र में नंबर वन पार्टी थी. उस वक़्त बीजेपी ने सबसे ज़्यादा सीटें जीतीं, लेकिन हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को महाराष्ट्र में अपेक्षित सफलता नहीं मिली.
इसके चलते अब बीजेपी ने हर विधानसभा के लिए नई रणनीति बनाई है. अगले 15 दिनों में महाराष्ट्र में बीजेपी के शीर्ष नेताओं की कई चुनावी सभाएं होनी हैं. इसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की करीब 15 चुनावी सभाएं होंगी. कुछ दिन पहले मुंबई के अंधेरी, बांद्रा कला नगर, ठाणे, जोगेश्वरी जैसे कई इलाकों में योगी आदित्यनाथ के बैनर लहराए गए थे. इन बैनरों पर योगी आदित्यनाथ के उत्तर प्रदेश और फिर हरियाणा चुनाव में दिया गया नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ लिखा हुआ था. ये बैनर मुंबई बीजेपी के पार्टी सदस्य विश्वबंधु राय ने लगाए थे. बीबीसी मराठी से बात करते हुए विश्वबंधु राय ने कहा, ”योगी आदित्यनाथ के मुंबई और महाराष्ट्र में कई प्रशंसक हैं. मैंने यह संदेश देने के लिए बैनर लगाए थे कि महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव में हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए.” वे कहते हैं, “योगी आदित्यनाथ ने नारा दिया था कि अलग-अलग जातियों में बंटने की बजाय हिंदू बनकर एक साथ रहो. इसलिए ये बैनर मुंबई में भी लगाए गए.”