मध्यप्रदेश में पहली बार किसी 6 वर्षीय बच्चे को “स्किल्ड वर्कर” मानकर रिकॉर्ड 19 लाख 80 हजार रुपये का मुआवज़ा दिया गया है। MACT कोर्ट ने यह अभूतपूर्व फैसला हरिराम गौड़ की सड़क दुर्घटना में मौत के मामले में सुनाया। रायसेन जिले के खंडेल गांव का हरिराम परिजनों संग भोजन करने जा रहा था, तभी तेज रफ्तार कार की टक्कर में घायल हुआ और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। परिवार ने MACT में याचिका लगाई, जिसकी पैरवी इंदौर के अधिवक्ता अरुण त्रिपाठी ने की।त्रिपाठी ने सुप्रीम कोर्ट के “नगजी भाई जजमेंट” का हवाला देते हुए दलील दी कि 1 से 15 वर्ष तक के बच्चों को स्किल्ड वर्कर माना जाए और उनकी न्यूनतम आय 11 हजार 885 रुपये प्रतिमाह मानी जाए। अदालत ने यह तर्क स्वीकार किया और 40% फ्यूचर प्रोस्पेक्ट्स जोड़कर मुआवज़ा 19.80 लाख तय किया। बीमा कंपनी की सभी आपत्तियाँ अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर खारिज कर दीं। वही इस केस में अधिवक्ता अमित ठाकुर और उमेश द्विवेदी ने अधिवक्ता अरुण त्रिपाठी का सहयोग किया। अधिवक्ता त्रिपाठी ने इसे मध्यप्रदेश में अवयस्क बच्चों के मुआवज़े के लिए “ऐतिहासिक और मार्गदर्शक निर्णय” बताया।

